STORYMIRROR

Gurminder Chawla

Abstract

3  

Gurminder Chawla

Abstract

सोच

सोच

1 min
214

एक छोटा सा शब्द है सोच

कितनी गहराई है सोच मे

कभी किसी का चरित्र दर्शाना

कभी किसी का कर्म बन जाना

कभी यह अच्छी सोच हो जाता

कभी किसी की गन्दी सोच बन जाता

कभी मेरे घर बालक ने जन्म लिया

कभी मेरे मित्रों के घर नयें शिशु का आगमन हुआ

युवा अवस्था मे हर जगह हमे जीवन दिखलाता ।

नया जीवन ही हमारी सोच बन कर हमे उमंग की राह पर ले जाता ।

अचानक मेरे रिश्तेदार का जाना

कभी मेरे करीबी दोस्त का इंतकाल हो जाना

वृद्ध अवस्था में मेरी सोच को बदलता है

हर जगह मुझे मौत और गम ही दिखता है ।

मेरे प्रिय , जीवन तो वही है

फर्क सिर्फ इतना है हर अवस्था में

सोच से ही जीवन को बदलता है ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract