कसक
कसक
बेचारी नही, तुम शक्ति पूर्ण नारी हो
तुम उगते सूरज की नही, किरण
तुम चँदा की हो चाँदनी
प्रिय, तुम खुद ही में क्यों सिमट रही
क्या मेरा प्यार ही इसकी वजह है
मै हूँ दीवाना तेरा
पर इजहार करने से डरता हूँ।
अगर मेरे प्यार की कसक है तुम में,
तो तुम मेरे संग चलो, प्रिय
मै भी तुम्हारे संग चलता हूँ
और जन्नत में कदम रखता हूँ।