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Gurminder Chawla

Abstract Comedy Classics

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Gurminder Chawla

Abstract Comedy Classics

60 साल (कविता )

60 साल (कविता )

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सब समझने लगे मुझे बुढढा

क्योंकि मैं साठ साल का हो गया।


परसों कि तो बात है

मैं था नन्हा बालक

रोज सबेरे स्कूल था जाना

टीचर जी की डांट को खाना।


कल ही कि तो बात है

रोज सबेरे आफिस जाना

ऑफिस में सहकर्मी को पटाना

घर आकर रूठ बीबी को मनाना।


मन है अभी भी चंचल मेरा

अब बालों का हो गया सबेरा

घुटने थोड़ा सुजा है मेरा

तुम ही जो कह सकते हो


मैं नहीं कहना चाहता हूँ

कि मैं बुड्ढा हो गया

पर मैं साठ साल का हो गया।


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