ऊॅ॑ची लम्बी इमारतें
ऊॅ॑ची लम्बी इमारतें
ये ऊंची लम्बी इमारतें,
आपस में कहीं अपना वजूद तलाशती सी हैं।
बसती अनेकों ज़िंदगी यहां,
पर अपरिचित होने का एहसास करा जाती हैं।
हवा से बात करती अट्टालिकाएं,
हैं मौन, चुपचाप सी खड़ी।
इन लम्बी ऊंची इमारतों का,
सन्नाटा कुछ डरावना सा है।
आदमी-औरत का नाम न जाने,
साथ-संगति का मोल न पहचाने।
फ्लैट-घरों में मुंडेर ही नहीं
कि कोई कौआ बोले और अतिथि आए।
हरदम जगमगाती इन ऊंची लम्बी इमारतों में,
गहन अंधेरा जड़ें फैला चुका है।
