बिटिया रानी
बिटिया रानी
गोद में उसका आकर
ऑ॑खें गोल-गोल मटकाना।
बालों को छूना,
कभी गाल से गाल रगड़ना।
फिर लाड़ से गले
में नन्हीं नन्हीं बाहें डाल
छोटी सी कोई फरमाइश
कानों में सुना जाना।
ठुमक-ठुमक ऑ॑गन
में मेरा इंतज़ार करना।
देखते-ही-देखते
वो कब बड़ी हो गई,
पढ़-लिखकर तैयार हो
कर्मभूमि पर चली।
आई फिर वो कठिन बेला
जब कलेजा छलनी कर
वो पिया घर चली।
खुशी का माहौल
बना घर में आनंदोत्सव
संग ले आया बिटिया
तुझसे दूर होने की घड़ी।
बिटिया, विदा तुझे
आज मैं करता हूॅ॑
वादे को मेरे रखना हमेशा याद
कि सुख में, दुख में
खड़ा सदैव तुम पाओगी मुझे
पिता तुम्हारा मैं कह ना
पाया कभी पर
एक आवाज़ पर दौड़ा मैं
चला आऊंगा।
अपने आत्मसम्मान को रखना
सदा सम्भाल,
अपने मान का रखना तुम
हमेशा ख्याल,
ये घर तुम्हारा था
और रहेगा सदैव तुम्हारा ही।
पराया ना हमें करना और
नाही खुद को पराया समझना।
वादा है पिता का बिटिया से
पाओगी साथ हर पल तुम मुझे !