बिखेरा है उत्साह कण-कण में
बिखेरा है उत्साह कण-कण में
बिखेरे हैं, अनगिनत उत्साह के स्रोत पृथ्वी पर,
चुन लो जो मन चाहे तुम, प्रकृति से,
उगता सूरज आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है,
खिलती कली नवजीवन का संचार करती है,
चहचहाते पक्षी जीवन का कलरव सुनाते हैं,
ढलता हुआ भास्कर समय की महत्ता दर्शाता है,
निर्मल चांदनी शीतलता का दर्पण दिखा जाती है,
निशा की तन्हाई आत्मविश्लेषण का अवसर देती है,
नदी अनवरत निरंतर बहना सिखाती है,
बारिश मन पर पड़ी धुंध को साफ कर जाती है,
प्रकृति प्रेरणा का अगाध भंडार है,
कुछ सीख जीवन में उतार, लाभ उठा लो बंंधु!
बिखेरा है उत्साह कण-कण में प्रणेता ने,
अद्भुत अनुपम अति सुन्दर पावन मनभावन!