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Priyanka Saxena

Abstract Inspirational

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Priyanka Saxena

Abstract Inspirational

क्यों ना आज तिल बन जाएं!

क्यों ना आज तिल बन जाएं!

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क्यों होता है ऐसे 

कि तुम्हें छू कर जो चीज गुजरे वो अमर सी हो जाती है।

क्यों होता है ऐसे 

इंसान बिखरे तो चाहकर भी सिमट नहीं पाए।

क्यों होता है ऐसे 

सपने टूटकर कुछ ऐसे बिखरे कि मुठ्ठी में ना समाएं।


क्यों ना ऐसा कर‌ जाए कि

जगमगाएं, नीर में ना डूबे,आसमां भी पड़े कम।

क्यों ना ऐसा कर‌ जाए कि

जमीं पर फैल जाएं ऐसे जगह ना रहे बाकी।


शख्सियत का यूं दीदार करा दें कि 

ज़र्रा ज़र्रा भी ख़बर हमारी सुनाएं।

कहो तो आज कुछ अनोखा कर‌ जाएं,

क्यों ना आज तिल बन जाएं !


धरती पर बिखरकर एक बार 

फिर सोना कनक अनुपम बन जाएं।


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