बेवफा भंवरा
बेवफा भंवरा
एक बड़ा भौरा सुबह- सुबह ,
गीत गाता गुनगुनाता रे ।
कलियों के सामने बहुत प्यार से ,
हवा में तांडव दिखाता रेे।।
प्रसन्न कली हुई मधुकर के प्रेम में,
धीरे धीरे पंखुड़ी खोलती ।
आहिस्ता- आहिस्ता भ्रमर पास आता,
प्यार से उसके गले लग जाता ।।
मद मस्त प्रेम में लीन हुआ अली ,
लब को चूम चूम के मोद हुआ ।
चूंकि राहगीर आवारा था ,
दिल लगी से कली को खेद हुआ ।।
नित्य ईश्क की लीला रचाता ,
कभी गुलाब कभी चमेली ।
मन को उनकी आकर्षित कर ,
उनकी प्रेम से है खेला ।।
