Pt. sanjay kumar shukla

Classics Fantasy

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Pt. sanjay kumar shukla

Classics Fantasy

फेस बुक मित्र

फेस बुक मित्र

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(१) प्रथम जनवरी मेरे लिए,

 अपार प्रसन्नता बटोर लाई थी।

वो रात्रि की प्रथम पहर को,

FB मैसेंजर में वो आई थी।।


(२) जब हुआ उनसे वार्तालाप,

मन खुशियों से गद गद हो गया।

वो कहती थी कि आप मेरे मित्र बनेंगे,

कैसे कहता न हा हो गया।। 


(३) मानो अनुभव हो रहा था जैसे,

 स्वर्ग की वो कोई अप्सरा।

मैं भू - लोक का राजा इन्द्र,

 जहां नववर्ष की शुभकामनाएं भरा।।


(४) वो नृत्य करती शब्दों की जाल में,

 मेरे नयन भी आनंदित था।

उसकी प्रेम भरी शब्दों को पड़कर,

 हमने भी चंद प्रेम किया प्रेषित था।।


(५) हमने तो नववर्ष को,

 अपार धन्यवाद दिया।

क्युकी हमको नववर्ष ने,

 एक अच्छी और सच्चा मित्र दिया।।


(६) परन्तु ये लम्हे ये खुशियां,

 मात्र १ जनवरी तक सीमित रहा।

उन्होंने हमसे पहले कह दिया कि,

इस वर्ष हमें सबसे ज्यादा चाहने वाला

 मेरा मीत रहा।।


(७) शोक कुछ लम्हों तक बना रहाय़


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