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Bharati Sawant

Classics

3  

Bharati Sawant

Classics

बेटी

बेटी

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दुनिया समझती है सारी

बेटेको ही घर का चिराग 

बेटी है ममता की छाया

बॉंटेगी वो खुशीका सुराग


छमछम बजाते हुए पायल

नाचता है सारा घर ऑंगन

रोता है सजा परिवार जब

जायेगी ससुराल बने दुल्हन


बॉंधती सब रिश्ते यह बेटी

रेशमी प्यार के धागों से

मॉंबाप भैयाको महकाती

फुलोंके चमन और बागोंसे


मायके और ससुरालमें भी

चलते है उसके इशारोंपर

उसके होनेके बिना कही 

चलता नही है परिवार घर


सुबह से लेके शाम तकभी

बेटी रखती सबका खयाल

प्यार से समझाती भैया को

यदि करता वो कोई बवाल।


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