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Bharati Sawant

Tragedy

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Bharati Sawant

Tragedy

धरती का इन्सान

धरती का इन्सान

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देखो प्रभु क्या करता है 

ये पापी धरती का इन्सान 

तूने दी है सुंदर यह सृष्टि 

इसने बनाया है शमशान 


वृक्ष तोड़े मिटाया जंगल

पशुओं के नष्ट के भवन 

खुद के स्वार्थ के लिए

किया निसर्ग का हवन


बहती हुई यह नदियों को 

बॉंधा इसने एक ही जगह

सुंदर सृष्टि पर अभी भी

रहती इसकी बुरी निगाह 


पानी के लिए तड़पाता  

परवाह नहीं करते किसी की

जानवरों को मार गिराते

नियत हमेशा बुरी उसकी



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