धरती का इन्सान
धरती का इन्सान
देखो प्रभु क्या करता है
ये पापी धरती का इन्सान
तूने दी है सुंदर यह सृष्टि
इसने बनाया है शमशान
वृक्ष तोड़े मिटाया जंगल
पशुओं के नष्ट के भवन
खुद के स्वार्थ के लिए
किया निसर्ग का हवन
बहती हुई यह नदियों को
बॉंधा इसने एक ही जगह
सुंदर सृष्टि पर अभी भी
रहती इसकी बुरी निगाह
पानी के लिए तड़पाता
परवाह नहीं करते किसी की
जानवरों को मार गिराते
नियत हमेशा बुरी उसकी
