माघ महीने की देखो शान, भारत की है यही पहचान ! माघ महीने की देखो शान, भारत की है यही पहचान !
यहीं, इसी धरा पर, मिट कर ही चुकाना होगा ! यहीं, इसी धरा पर, मिट कर ही चुकाना होगा !
पर बूझाना भी चाहे तो और जल जाऊंगी यकीन नहीं तो कर ले तू थोड़ी प्रतिक्षा, अग्नि से उलझने वाले तेरी ... पर बूझाना भी चाहे तो और जल जाऊंगी यकीन नहीं तो कर ले तू थोड़ी प्रतिक्षा, अग्नि...
बैठकी और वो चबूतर, गोलियों के शोर में भी बैठकी और वो चबूतर, गोलियों के शोर में भी
बहती हुई यह नदियों को बॉंधा इसने एक ही जगह बहती हुई यह नदियों को बॉंधा इसने एक ही जगह
अडिग हिमालय से सीमा पर,तुमको शत शत बार नमन! अडिग हिमालय से सीमा पर,तुमको शत शत बार नमन!