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Pt. sanjay kumar shukla

Action Inspirational Thriller

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Pt. sanjay kumar shukla

Action Inspirational Thriller

सफ़र 2020

सफ़र 2020

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246

(१)

जनता में अब महामारी,

फैल रही थी मंद मंद ।

गरीब रहा या उद्योगपति,

सबको संकट की मिल चुकी थी गंद।।

(२)

ना जाने कैसी हवा चली थी,

हवे में जहर इस तरह फैली थी ।

उसके जंजीरों में जकड़ चुके थे लोग,

सुनकर करोना के नाम काप रहे थे सब लोग।।

(३)

अद्भुत कला थी उनमें,

सांसो की नली को बंद करने की ।

अपनों से भी डर लगने लगा था,

 मिलकर उनसे मरने की।।

(४)

अदृश्य महाशक्तिशाली,

जैसे कि २०२० को जन्म लिया हो बाली ।

पूरी दुनिया निहत्था ; खड़ी रो रही थी,

पढ़ चुकी थी बड़ी-बड़ी नेताओं के चेहरे में लाली।।

(५)

चीनियों की काली करतूतों का,

भोग रहे थे हम सब लोग उन कुपुतों का ।

खुद के घरों में बंदी हो गई थी सारी जनता,

शोक में डूब चुकी थी दुनिया,

मानो लग रहा था अब संसार रहेंगी भूतों का।।

(६)

रोटी के लिए गरीब लोग,

हो गए थे प्रवासी माहानगरों में ।

 कॉरोना से प्राण बचाने के वास्ते,

पैदल ही लौट चले थे घरों में।।

(७)

महामारी का फायदा,

उन सबको हुआ हैं ।

जिनको बड़ा आदमी,

बनने का मिला दुआ हैं।।

(८)

मानव यकृत निकालने की,

बढ़ रही थी तस्करी।

मिला कारोना की आड़ में मौका,

तब चिकित्सक व्यापारियों ने अपनी जेब भरी।।

(९)

करोना से तो हर कोई लड़ रहा था ,

पर इन चिकित्सक व्यापारियों से कौन लड़े ?

 मानव के ह्रदय, यकृत, वृक यह तीनों,

 क्या यह उनके पुरखों की है खजाने की घडे ?

(१०)

मेरी जन्म भी तेरे हाथों में,

मेरी मृत्यु भी तेरे हाथों में।

शायद ईश्वर भी अब डर रही है,

देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में।


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