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Praveen Gola

Classics

3  

Praveen Gola

Classics

होली आई रे

होली आई रे

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होली आई रे आई रे

होली आई रे

खुशियाँ लाई रे लाई रे

होली आई रे


रँग, अबीर, गुलाल हवा में छाये,

सबके मुँह पे लगता जाए,

रँग - बिरंगे चेहरों पर आये मुस्कान,

होली है बोले सब इंसान।


भूलें नफरत गले लगाकर,

होली मनायें मिठाई खिलाकर,

ढोल की धुन पर थिरके पैर,

होली है अब नहीं कोई बैर।


ऊपर से आये पिचकारी की फुहार,

खिलखिलाते बच्चे मनाते त्योहार,

गुब्बारों की लगती होड़,

होली है  मारें दौड़ - दौड़।


भीगी साड़ी भीगा कुरता,

पागल मन नए सपने बुनता,

भाँग का जब पीते प्याला,

होली है कह नाचे मतवाला।


होली आई रे आई रे

होली आई रे

खुशियाँ लाई रे लाई रे

होली आई रे


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