STORYMIRROR

Padma Motwani

Classics

4  

Padma Motwani

Classics

मेरा हिन्दुस्तान

मेरा हिन्दुस्तान

1 min
421

उतर में आसमान को छूती हिमालय की पर्वतमाला,

दक्षिण में सागर की लहरों में कन्याकुमारी का राज है।

पश्चिम तट पर महाबंदर कांडला, द्वारका, सोमनाथ हैं 

पूरब में सौंदर्यमयी गंगटोक सिक्किम विश्व विख्यात है।


"अतिथि देवो भव" से यहां अपनत्व संग देवत्व विराजमान हैं

कभी योग तो कभी आध्यात्म से यह संस्कृति बड़ी महान है।

भिन्न भिन्न लोगों के धर्म यहां, भिन्न जातियां विद्यमान है

अनेकता में एकता, हर पुरातन संस्कृति की पहचान है।


दीवाली के पटाखे हो या ईद की सिवइयां, स्वाद सभी चखते

पतंग का कोई धर्म नहीं, हर त्यौहार पर सब बड़े हर्षित रहते।

खट्टे मीठे, तीखे नमकीन हर प्रांत स्वादिष्ट व्यंजनों की भरमार

दुनिया में नहीं कोई सानी इसका, जो करे खाने पर तकरार।


सौ सौ कोस पर भिन्न भिन्न भाषा की मधुर खनक सुनाई देती

भिन्न भिन्न बोली, भिन्न भिन्न भाव से रंगीन चुनर दिखाई देती।

मेहनत कश प्रजा यहां की, सौम्य, होनहार हर बिरवान है

नालंदा विश्वविद्यालय और प्राचीन गुरुकुल इसकी शान हैं।


वीरता की यह मिसाल है, जिसे सराहता पूरा जहान है 

बड़ा ही रोचक मेरे देश की आज़ादी का गौरव गान है।

मर्यादा, स्नेह, आत्मीयता और त्याग, हर रिश्ते में सम्मान है

हर दिन यहां उत्सव मनाते, गर्व से कहते ये मेरा हिन्दुस्तान है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics