नववर्ष
नववर्ष
नव प्रभात की उजली उजली भोर है
अरनिम किरणें फैल रहीं हर ओर हैं।
नये साल के स्वागत में एक नया साज़ है
नये सुंदर सपनों से सजा नया संसार है।
नववर्ष की कोरी पुस्तक को रंगीन बनाते हैं
सुख शांति हो चारों ओर, ऐसे चित्र बनाते हैं।
अंतर्मन में आनंद हो, नित नया अनुराग हो
नयी उमंग से जीने का नया ही अंदाज़ हो।
हर मिलन स्नेहिल, सुरभित सुखकारी हो
आने वाला हर दिन हर पल मंगलकारी हो।
दिव्य अलौकिक शक्ति का हम सम्मान करें
समर्पण की भावना से प्रकृति को प्रणाम करें।
चूल्हा ठंडा पड़ा जहां पर, उनके लिए कुछ कर गुज़रें
बेटी को महफूज रखें, मात पिता की हम सेवा करें।
नयी आशा, नयी उमंग, नये सपने, नये संकल्प हों हमारे-तुम्हारे
ज़िंदगी की जंग में चाहे हम हार भी जाएं, निशां रहे हमारे-तुम्हारे।