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Padma Motwani

Classics

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Padma Motwani

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शिव महिमा

शिव महिमा

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समग्र सृष्टि का रचनाकार, भोली भाली सूरत है 

काम, क्रोध, मोह, अहंकार से दूर सुंदर मूरत है।


एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू का संगीत है

सृजन और विसर्जन से सृष्टि का अनुपम गीत है।


अमृत रस बरसाने वाला विष का सेवन करता है

अविनाशी, भोलेनाथ शिव घोर तपस्या करता है।


विवेक और वैराग्य के समन्वय का परिचायक है

निराभिमानी है, सही गलत कर्म का निर्णायक है।


सरल व सहज छवि है इसकी, यह भस्मधारी है

आदि योगी, मनोयोगी, जटाधारी, सर्पधारी है।


ज्ञान गंगा इसके मस्तक से बहती, यह त्रिनेत्रधारी है

उच्च शिखर विराजमान वह सर्वेश कल्याणकारी है।


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