STORYMIRROR

Namrata Saran

Classics

3  

Namrata Saran

Classics

अनुपम रिश्ता

अनुपम रिश्ता

1 min
266

कैसी ये धुन कैसा ये साज़स्वर्ग से सुंदरअद्भुत एहसास

बजते मृदंग सजती सरगमदोनों सुन रहे परस्पर धड़कन


ज्यौं फूल धरा पर खिल रहाज्यौं आकाश ज़मी से मिल रहा

माँ के सीने मे दुबक क रनन्हे को कायनात मिल जाती


नन्हे शिशु की कोमल छुअनमाँ को प्रफुल्लित कर जाती

ममता का बहता मीठा झरना शिशु पाता है 


तृप्ति अतुल्य दुनिया से बेखबर है

ये दुनिया रिश्ता जहाँ मे ये इक अमूल्य।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics