STORYMIRROR

ASHWANI SRIVASTAVA

Classics

3  

ASHWANI SRIVASTAVA

Classics

मृदुभाषी

मृदुभाषी

1 min
309

घिर गया हूँ, मैं आज

सकते में है स्वाभिमान

मधुभाषियों का भरोसा क्या,

छायी है लालिमा दोष की।


जो थे हमारे

पल भर में तोड़ा रिश्ता

अरे देखो तो आईनें में

पूछो इन झुकी नजरों से,

इतनी बेवफाई क्यों।


कोई निकालो मुझे

जीना है मुझे भी,

पर दूर हो मधुभाषी

फिर क्या भरोसा

फिर मिले मुझे

मधुभाषी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics