मृदुभाषी
मृदुभाषी
घिर गया हूँ, मैं आज
सकते में है स्वाभिमान
मधुभाषियों का भरोसा क्या,
छायी है लालिमा दोष की।
जो थे हमारे
पल भर में तोड़ा रिश्ता
अरे देखो तो आईनें में
पूछो इन झुकी नजरों से,
इतनी बेवफाई क्यों।
कोई निकालो मुझे
जीना है मुझे भी,
पर दूर हो मधुभाषी
फिर क्या भरोसा
फिर मिले मुझे
मधुभाषी।