अलाव
अलाव
सर्द की रात में उसकी याद भी
अलाव सी हो जाती है
वो खयालों में आती है
जुनूँ सी पिघल जाती है,
उसकी याद भी
सर्द में सुकून दे जाती है,
सर्द में भी बादलों का
घिर जाना होता है
ऐसे में वो सर्द में
सर्द हवाओं सी, अलाव
पिघलती नजर आती है,
ये सर्द बेइन्तेहा बेवफा है
हमेशा देर से आकर
पहले चली जाती है
सर्द की रात में उसकी याद भी
अलाव सी हो जाती है।