जीने की आस...
जीने की आस...
तुम वहां से पुकार रही हो मुझे
जहां जाने पर जीने की आस नही है मुझे।
वही रह जाने की बात करती हो
तुमसे बिछड़ कर जिंदा रहना है मुझे।
ये न कहना के मेरे बाद कोई और होगा नही
तुम्हारे बाद भी कोई और चाहने लगा है मुझे।
ये प्यार मुहब्बत वादे निबाहने की बातें
बिछड़ कर देखो कुछ बाद तेरा कहाँ रहना है मुझे।
तुमको भूलने की कोशिश हज़ार दावा भी करूँगा
रुसवा करूँगा और फिर तुझसे दफा करना है मुझे।
और कह देना वादा लेना ज़िन्दगी भर तक
गर निभाह गया तो तुमको याद करना है मुझे।
एक वक़्त बाद आना उसी राह-ए-मंजिल तक
तुमको मैं गर मिला तो बेवफा भी कहना है मुझे।
तुम वहां से पुकार रही हो मुझे
जहां जाने पर जीने की आस नही है मुझे।

