विद्यार्थी,एक अदना सा कवि🙏 हृदय तलबगार है पर तुम्हारा नही।
रोग हो जाना चारागर को चाक भरे दिल के उम्र कभी। रोग हो जाना चारागर को चाक भरे दिल के उम्र कभी।
तुम वहां से पुकार रही हो मुझे जहां जाने पर जीने की आस नही है मुझे। तुम वहां से पुकार रही हो मुझे जहां जाने पर जीने की आस नही है मुझे।
उस ख़्वाहिश का तलबगार कभी हुआ ही नहीं। उस ख़्वाहिश का तलबगार कभी हुआ ही नहीं।
सर्द की रात में उसकी याद भी अलाव सी हो जाती है वो खयालों में आती है जुनूँ सी पिघल जाती है, उसकी ... सर्द की रात में उसकी याद भी अलाव सी हो जाती है वो खयालों में आती है जुनूँ सी ...
बड़े गिले-शिकवे भी रहे हैं हममें पर ऐसा नहीं के हम न हो नशे में, बड़े गिले-शिकवे भी रहे हैं हममें पर ऐसा नहीं के हम न हो नशे में,
तेरे रौशनाई में चमके वो उसे मंजूर नहीं तेरे सिलवटों से काटों की चुभन होती है! तेरे रौशनाई में चमके वो उसे मंजूर नहीं तेरे सिलवटों से काटों की चुभन होती है!
मन सम्मोहन की प्रीत दे गयी हृदव में खुद को मनमीत कर गयी। मन सम्मोहन की प्रीत दे गयी हृदव में खुद को मनमीत कर गयी।
सांसों की आवाज़ाही में पीर कर गयी वो गयी नज़र को शमसीर कर गयी। सांसों की आवाज़ाही में पीर कर गयी वो गयी नज़र को शमसीर कर गयी।