बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच। बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच।
अलाव की अगन एक है। अलाव की अगन एक है।
किसी मसीहा के इंतज़ारमें बावले लोग बस एक भीड़ है किसी मसीहा के इंतज़ारमें बावले लोग बस एक भीड़ है
सर्द मौसम में तेरी यादों का अलाव जलाकर, नीले पड़ते ख़वाबो को गरमाहट देती हूँ। सर्द मौसम में तेरी यादों का अलाव जलाकर, नीले पड़ते ख़वाबो को ...
चिंगारियाँ कहाँ बुझती है हसरतें तो राख में भी रह जाती है ! चिंगारियाँ कहाँ बुझती है हसरतें तो राख में भी रह जाती है !
पहचान के कुछ हल्के अंश दोनों के दरमियां रहने तो दो। पहचान के कुछ हल्के अंश दोनों के दरमियां रहने तो दो।