तुम्हारा
तुम्हारा
मैं राज़ भी तुम्हारा
मैं हमराज भी तुम्हारा
तुम भय से मुक्त हो
मैं उपसर्ग भी तुम्हारा
मैं जड़ चेतना भी तुम्हारा
हारना नहीं है
यूं अज्ञानी मूर्ख के शब्दों से
तुम चलो बेफिक्र हो निरंतर
मैं राह भी तुम्हारा
मैं आखरी ठहराव भी तुम्हारा
ये पल पल का इंतज़ार सही है
मैं संघर्ष भी तुम्हारा
मैं आत्म भी तुम्हारा
मुस्कुराओ जला दो अंधियारा मन की
मैं प्रेम भी तुम्हारा
मैं आत्मबल भी तुम्हारा
रच डालो एक इतिहास नई
मैं स्याह भी तुम्हारा
मैं शब्द भी तुम्हारा
अलंकारों सी तुम
मैं काव्य भी तुम्हारा
मैं व्याख्या भी तुम्हारा
तुम हो अद्वितीय अणुओं सी एक आकांक्षा
मैं अंतर्मन भी तुम्हारा
मैं तृष्णा भी तुम्हारा ।