कभी शांत सरोवर सी बहती.. कभी सागर जैसी कलकल भी। कभी शांत सरोवर सी बहती.. कभी सागर जैसी कलकल भी।
अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
पंकज तुम्हारे यश का तुम्हें भान नहीं। पंकज तुम्हारे यश का तुम्हें भान नहीं।
शिवमय हो गई उमा कुमारी करके शिव पार्वती की जय। शिवमय हो गई उमा कुमारी करके शिव पार्वती की जय।
किसी के पैरों से चलके, कभी मैदान, पार नहीं होते। किसी के पैरों से चलके, कभी मैदान, पार नहीं होते।
स्वभाषा ही अपनों को अपनों की ओर खींचती है। स्वभाषा ही अपनों को अपनों की ओर खींचती है।