हर हर महादेव हरे
हर हर महादेव हरे
मां पार्वती संग विराजे
कैलाश पर कैलाश पति
मूषक संग गणपति बैठे
कार्तिकेय लिए है मोर खड़े।
शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर
नमन करो हर विघ्न हरे
सच्चे हृदय से सब पुकारो
हर हर हर महादेव हरे।
शिव अनंत शिव ही भगवंत
शिव है आदि और शिव ही अंत
शिव ही शक्ति शिव से ही भक्ति
लिए डमरू त्रिपुरारी कल्याण करें।
सती की आह लिए
धरा से कैलाश तक
गंगा का प्रवाह लिए
तमस से आभा लाए।
शिव ही काल शिव ही कृपाल
बैठ नंदी ले बरात चले
भूत प्रेत आत्मा के साथ
भस्म लपेटे त्रिकाल चले।
मस्तक पर चंदा शीश में गंगा
त्रिनेत्र धारी भंडारी भोले बड़े
भस्म उड़ाते नाचते गाते
किए हुड़दंग ससुराल चले ।
देख बरात सब मंगल गावे
पुष्पा चढ़ावे स्वागत का थाल लिए
देख महादेव का रूप भयंकर
थरथर बोलें हरे हरे।
आगे बढ़ शैलपुत्री हार पहनावे
वरण करें यही प्राण प्रिय
शिवमय हो गई उमा कुमारी
करके शिव पार्वती की जय।