STORYMIRROR

Shubhra Varshney

Abstract Drama

4  

Shubhra Varshney

Abstract Drama

हर हर महादेव हरे

हर हर महादेव हरे

1 min
396

मां पार्वती संग विराजे

कैलाश पर कैलाश पति

मूषक संग गणपति बैठे

कार्तिकेय लिए है मोर खड़े।


शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर

नमन करो हर विघ्न हरे

सच्चे हृदय से सब पुकारो

हर हर हर महादेव हरे।


शिव अनंत शिव ही भगवंत

शिव है आदि और शिव ही अंत

शिव ही शक्ति शिव से ही भक्ति

लिए डमरू त्रिपुरारी कल्याण करें।


सती की आह लिए

धरा से कैलाश तक

गंगा का प्रवाह लिए

तमस से आभा लाए।


शिव ही काल शिव ही कृपाल

बैठ नंदी ले बरात चले

भूत प्रेत आत्मा के साथ

भस्म लपेटे त्रिकाल चले।


मस्तक पर चंदा शीश में गंगा

त्रिनेत्र धारी भंडारी भोले बड़े

भस्म उड़ाते नाचते गाते

किए हुड़दंग ससुराल चले ।


देख बरात सब मंगल गावे

पुष्पा चढ़ावे स्वागत का थाल लिए

देख महादेव का रूप भयंकर

थरथर बोलें हरे हरे।


आगे बढ़ शैलपुत्री हार पहनावे

वरण करें यही प्राण प्रिय

शिवमय हो गई उमा कुमारी

करके शिव पार्वती की जय।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract