दिन-6 ग्रे (चले चलो)
दिन-6 ग्रे (चले चलो)
चले चलो
दिखा अदम्य जोश भुजा का
शौर्य दिखाते चले चलो।
खुशी की किस्ते तय कर जिंदगी में
एक मुस्कुराहट लिए चले चलो।
किस्मत की लकीरें बदले ना बदले
बस हिम्मत लिए चले चलो।
बना खंजर से लकीरे
बदल अपनी तकदीर चले चलो।
कर नाकाम झूठ के समंदर को
सच की कश्ती साहिल पर लिए चलो।
गर है दुविधा विकट अपार
आघात पर प्रतिघात किए चलो।
है अगर छा जाने का फितूर
दुनिया का दस्तूर बदलते चलो।
यदि पाना चाहो सुख अभिनंद
बढ़ा उत्साह हौसला बुलंद किए चलो।
ठेल तिमिर अंतर्मन का
हृदय में नवदीप जलाते चलो।
काट पत्थर रुकावटो के
राष्ट्र को सुपथ देते चलो।
मेहनत के धागों से बुनकर
वस्त्र सफलता के पहनते चलो।
गर ठोकर खाकर गिर जाओ
उम्मीद का दामन पकड़ चलो।
बनकर राष्ट्र के विजयरथ
धधकती जीत लेते चलो।
गर देखो बुराई रूपी हलाहल
बन नीलकंठ पान करते चलो।
कोई गलत पथ बढ़ जाए
नवदिशा नवजीवन दिखाते चलो।
कोई राह में ना थम जाए
पकड़ हाथ लेते चलो।