दिन-7 नारंगी-अखण्ड दीप
दिन-7 नारंगी-अखण्ड दीप
बन अखंड दीप जलते अविरल,
करते सन्तान भविष्य प्रकाशमान ।
ज्ञान चक्षु खोल जीवन ज्ञान दे,
मातु पिता साक्षात प्रभु समान।
जन्म दे धरा पर लाते,
रोपित करते असंख्य संस्कार।
हाथ पकड़ सही राह दिखाते,
बालक की आत्मा के शिल्पकार।
जो नव कर्णधार है देश के,
करते हैं उनका चरित्र निर्मान।
कर्तव्य बोध जागृत कराके,
बनाते बालक को सद्गुण की खान।
पिता है सख्त माँ की फूल सी ममता,
थामें बालक के जीवनकमान।
नित तपाकर बना खरा स्वर्ण,
कराते नीति संस्कृति की पहचान।
दोनों है करुणामई दयासागर,
जो अंतर्मन ज्योति भरते।
पुष्पित उनसे परिवार,
रूपगुण उनसे निखरते।
अनुशासन का पाठ पढ़ाते,
बने रहते उत्प्रेरक।
बालक के संपूर्ण जीवन के,
है वो प्रथम मार्गदर्शक।
फूल पत्ती शाखाएं बालक
मातु पिता वटवृक्ष समान।
अप्रदर्शित प्यारयुक्त वो
अनंत प्यार की खान।