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Usha Gupta

Inspirational

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Usha Gupta

Inspirational

सबला नारी

सबला नारी

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नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,

हूँ खा़न ज्ञान की मैं, हैं विभिन्न प्रकार के हीरे जिसमें,

बन प्रहरी हूँ करती हूँ रक्षा जल् थल और आकाश के सीमा की,

रहती हर पल तैयार छुड़ाने को छक्के दुश्मनों के,

है इच्छा तीव्र मार गिराऊँ अनगिनत सैनिक दुश्मनों के,

है नहीं डर खा गोली सीने पर, गवाँ दूं प्राण देश के लिये,

हाँ हूँ सतर्क-हाँ हूँ सतर्क, न लगे गोली कभी पीठ पर।


नही हूँ आश्रित पुरूष पर, हूँ आत्मनिर्भर मैं,

घर ही नहीं चलाती केवल, वरन् हो आसीन पद पर मुखिया के,

 चलाती हूँ देश विदेश के बड़े-बड़े सगंठन, रहती हूँ कार्यरत रात और दिन, 

चला सुचारू रूप से पहुँचा देती हूँ उन्हें शिखर पर सफ़लता के।

अब तो है राजनीति में भी बोल-बाला मेरा,

मिला है सर्वोच्च सम्मान होने का प्रधान अनेक राष्ट्रों में।

कैसे हो सकती हूँ मैं अबला बोलो गाड़ दिया है जब झंड़ा

आंतरिक्ष में भी मैने।

हैं अधूरे हर मैदान खेल के आज बिन मेरे,

किया है नाम ऊँचा देश विदेश में मैनें,

भर दियें हैं कक्ष स्वर्ण, चाँदी व ताँबे के मेडल से।


नहीं हूँ अबला अब मैं, करना न कन्यादान मेरा माँ-पापा,

उबार सकती हूँ कष्टों से अनेकों को आवश्यकतानुसार,

दे विद्या दान, कर चिकित्सा, अथवा आर्थिक सहायता,

हूँ सक्षम देने में क़ानूनी सहायता भी,

लहरा रहा परचम आज मेरा प्रत्येक क्षेत्र में,

है न कोई भी कर्म भूमि अछूती अब मुझसे,

नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं,


न करना पुरूष हिम्मत तुम करने की खिलवाड़ लाज से मेरी,

न ही करना चेष्टा डालने की नज़र बुरी मुझ पर,

 कर दूँगी सर्वनाश तुम्हारा धर रूप काली का,

नहीं हूँ अबला अब मैं, हो गई हूँ सबला नारी मैं।।



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