स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
आरंभ..
आरंभ कर अंत की चिंता छोड़ दे
रुख़ तूफानों का जा तू मोड़ दे
है गीत यही रीत यही है प्रीत यही
सुन सबकी कर मन की ही कही
है ज़िंदगी तेरी सिर्फ़ तेरे लिए
क्यूँ जी रहा है इसे मेरे लिए
सोच समझ के सभी दिल हारना
कदर दान चाहतों पे इसे वारना
एहसास जिसके सोये हुए हैं
इंसानियत से वो खोये हुए हैं
लेकिन यही है कड़वी हक़ीक़तें
नहीं ज़रा भी ये कोई नसीहतें
जो दिख रहा है वो होता नहीं
जो हो रहा है वो दिखता नहीं
दिलों की अच्छाइयाँ ना जानने वाले
इल्ज़ाम के तराजू रखते हैं नापने वाले।