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NOOR E ISHAL

Romance

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NOOR E ISHAL

Romance

सुकूं ढूँढ के लाना है

सुकूं ढूँढ के लाना है

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है ये दलील मेरे मुस्तमिल होने की

हुरूफ हैं ख़ामोश कशिश बोलती है


            गर लाज़वाल है तो वो बाकमाल होगा

            अपने सवाल का ख़ुद ही जवाब होगा


मैं बिख़र के तुझको दिखाऊं ये नहीं मुमकिन

हम पुर्जो़ सी ज़ात में सिमटे हैं फ़ना होने तक


          बेख़बर से हो गये अब बेख़बर ही रहने दो

          मसर्रतों से शाद हुआ दिल ये ख़बर रहने दो


जो ज़िद है मुश्किलों को दूर नहीं जाना है

तो हौसलों को भी सुकून ढूँढ के लाना है


            एक ख़्वाब और उसकी ताबीर है ख़ास

            और यूँ मंज़िल लगने लगी है आसपास


हो आबशारों के हसीं तरन्नुम से तुम

तन्हा तुम ही नहीं हम भी हो गये गुम


          मेहरूमियांँ ही अँधेरों में उजाला करती हैं

          साहिब ए हैसियत का हमनिवाला करती हैं


तजुर्बा ए ज़िंदगी शायद बस इतना सा है

करे जो हमारा ख्याल वही अपना सा है।


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