दिए जलने दो
दिए जलने दो
तमन्नाओं के दिए जलने दो
चाहतों को तुम मचलने दो
दिल मे एक शोर होने दो
खुद को खुद मे खोने दो
अपने लिए खुद को जीने दो
रस खुशी का खुद को पीने दो
सुकून की मुस्कान आने दो
यूँ फिक्र की आदत जाने दो
गीत बचपन के मन को गाने दो
खेल खिलौने बचपन के लाने दो
कागज की एक कश्ती बनाने दो
फिर बारिश में उसको बहाने दो
कुछ लम्हे अपने को संवरने दो
ग़म को जिंदगी में ना ठहरने दो।
