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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

शीर्षक:लेखनी की धार

शीर्षक:लेखनी की धार

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आज तो मेरी लेखनी मुझसे बोलने लगी

मैं तेरे मन के भाव को अब लिख नहीं सकती

तू कठिन परिश्रम कर मुझे चलाने से पहले

अभी तुझ में मुझे चलाने का पूर्ण ज्ञान नहीं हुआ।

इसलिए तो तेरी फेसबुक पर तेरी लिखी कविता को 

बहुत लाइक और कमेंट नहीं मिलते क्योंकि

तेरी लिखी कविता किसी के समझ में नहीं आती

इसलिए ही तो तेरी भावना को पसंद नहीं किया जाता।

अपनी लेखनी को धार देने में पहले मेहनत कर

मुझे लेखनी की ये चेतावनी थी मुझे नई राह दिखाने की

मैंने कहा साथ न छोड़ो मेरा साथ दो तभी तो

मैं अपने शब्दों को आकार दे पाऊंगी।

कभी तो मेरे भी दिन आयेंगे शायद मैं भी लिख पाऊंगी

कर्म करती चलूंगी फल की इच्छा कभी नहीं करूँगी

बस तू मेरा साथ कभी भी मत छोड़ना

मुझ पर विश्वास बनाये रखना बस फिर से।

मेरी लेखनी पुनः चल पड़ी, अपनी बात पर न अड़ी

अब मैं लिखने का प्रयास करती हूं और आपके सामने

अपने मन के भाव लेखनी से उकेरकर रूप देती हूँ

बस आप सब के आशीर्वाद की अभिलाषा में ही हूँ।

सुधार करती जा रही हूँ अपनी लेखनी में

लेखनी का आशीष अब साथ है तो मेरी ताकत हैं

आप सब के लिए मैं अपने मन के भाव उकेरती और

लिखती जा रही है आपकी अपनी "मंजु" की लेखनी।


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