आम का मौसम
आम का मौसम
कोयल कूकी
रसाल डाल पर
सुगन्ध भरे बौर,
अमिया आई
धरा पर टपकी
मृदुल बयार चली।
अम्बी टपकी
चुनने की होड़
बने आम चटनी,
अचार डालें
खाने में रस स्वाद
मसालों की सुगन्ध।
एक ही तरु
दे कितने आराम
पके आम करते,
हम चुनते
पेड़ का वरदान
हवा बने सहाय।
ऊँची ऊँची डाली है
हाथ से छू न पाएँ
उदारता तरु की
अपने फल
आप ही गिराये
वायु से भी मिताई।
मेरा बगीचा
सुगन्ध भरपूर
दशहरी आम हैं
बटोर लाओ
स्वयं टपकते हैं
पेड़ पास गिरे हैं।
सबको बांटो
दान की है महिमा
तरु ने सब दिया
जितना आया
मुक्तहस्त दे दिया
सबका हितू बना।
उदारमना
प्रकृति से सीख लो
करना उपकार
सम भावना
सबकी सहायता
सर्वत्र प्रेम भाव।
