सुबह की धूप सी तुम फैली रहती हो घर-भर में रात में चाँदनी सी छिटक जाती हो सुबह की धूप सी तुम फैली रहती हो घर-भर में रात में चाँदनी सी छिटक जात...
अगली बार अपने गांव मैं जाऊँ, तो कैसे। अगली बार अपने गांव मैं जाऊँ, तो कैसे।
बहुत रह लिए अजनबी से हम दोनों, आज तुझसे तेरा बन के मिलता हूँ I बहुत रह लिए अजनबी से हम दोनों, आज तुझसे तेरा बन के मिलता हूँ I
वो कुएँ का पानी मिट्टी की सुराही पीता था आ कर वो चलता हुआ राही वो कुएँ का पानी मिट्टी की सुराही पीता था आ कर वो चलता हुआ राही
वह जानती है सपनों के घर नहीं होते। वह जानती है सपनों के घर नहीं होते।
उनके त्याग का कोई मोल नहीं, "मां " बाती तो, "पिता" तेल बन" स्वयं जला "करते उनके त्याग का कोई मोल नहीं, "मां " बाती तो, "पिता" तेल बन" स्वयं जला "करते