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नविता यादव

Inspirational

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नविता यादव

Inspirational

मातृत्व

मातृत्व

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"मां" का मतलब "मां" बन जाना मैंने

क्या होता है" मां"का स्थान ये पहचाना मैंने

"मां" होती है, सर्वगुण संपन्न

ममता की छवी अनुपम,


घर का हर कोना उससे "महके"

साथ "पिता" का पा वो हर पल "चमके"

"उनके "साथ "उसका "जीवन" चहके"

हम बच्चों के लिए उन दोनों का साथ

"सुरक्षा कवच" हो जैसे।।


"मां" बगीचा तो "पिता " माली है,

हम बच्चों की दिन रात करते रखवाली हैं

स्वाबलंबी, संस्कारी, हमें बनाते हैं,

एक अच्छा इंसान बना धरा पर चलना सिखाते हैं।।


उनके त्याग का कोई मोल नहीं,

"मां " बाती तो, "पिता" तेल बन" स्वयं जला "करते

हमारा जीवन रौशन,

"थकान" होती पर "सिकन" न दिखती

परिवार संग मुस्कान हर पल नूतन।।


कभी कभी जब मन भर आए,

मां की याद बड़ा सताए,

दिल करता है छोड़ सब भाग जाऊ मैं,

रख गोद में सिर जी भर सुस्ताऊ मैं।।


कह डालूं हाले दिल सारा,

पिता संग घूम आऊं मैं,

लगा ठहाका भाइयों संग

बहन को अपने गलेे लगाऊं मैं।।


खो जाएं फिर बचपन के गलियारे में

मां के आंचल में, पिता के साये में,

बचपन की शरारत में,

झाड़ू, चप्पल से मिले प्रसाद की इबादत में,

आओ खेल आए फिर उस आंगन में,

आओ खेल आए फिर उस आंगन में।।



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