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Pratibha Mishra

Romance

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Pratibha Mishra

Romance

माँ का बेटी के नाम पत्र

माँ का बेटी के नाम पत्र

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मेरी परछाई बनकर आई हो,

तुम्हारे आते ही सूरज की

पहली किरण तुम्हें छूने आई है।


हवा के झोंके तुम्हारे स्पर्श पाने को

खिड़की के बाहर, टकटकी लगाए है।

निशा भी निमंत्रण देने दरवाज़े पर खड़े हैं।


इन सब के भुलाए में आकर

तुम कही सच्चाई न खो देना,

सुनना सबकी करना हमेशा मन की।


जीवन के सफ़र में

बहुत ऐसे अवसरवादी मिलेंगे,

जो मुँह पर अच्छी बातें करेंगे

और पीठ घुमाते ही,

तुम्हारी सफ़लता से जलेंगे।


तुम यह सब जानकार दुःखी मत होना,

ना अपना धैर्य खोना।

लोग बातें भी उन्हीं का करते हैं,

जिनमें कुछ बात होती है,

अंत में यही कहूँगी सुनना

सबकी करना हमेशा मन की।


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