तुझे शत -शत प्रणाम
तुझे शत -शत प्रणाम
माँ हो ,शिक्षक हो, मार्ग दर्शक हो
मेरे जीवन के हर राह में खड़ी वह चट्टान हो
पीछे अपने साये में तुझे ही पाया है
संघर्ष के सीढ़ी पर चढ़ना तूने ही सिखाया है
हर तपन को सह कर सोना बनना
कर्म खुद बोलने लगते हैं
बस कर्तव्य अपना निभाते चलना है
उड़ने को पूरा आसमा है
बस इरादे बुलंद रखना तुझसे ही जाना है
मतलबफरोश लोगों के बातों में आकर
पीछे ना हटना, अवसरवादी लोगों की बातों में
आकर दुखी ना होना,अक्सर बात
उसी की होती है जिसमें कोई बात होती है
यह सब तुझसे ही समझा है
सूरज तपन पाने की राह नही देखती
चाँद औरों से चाँदनी नही लेती
ठीक इसी तरह तेरी जगह
कोई किताब नही ले सकती
मेरे भूत,वर्तमान,भविष्य, सबमे तेरी छाया है,
जहाँ शब्द भी कम पड़ जाते है,
तेरी त्याग,और बलिदान की कथा सुनाने में
तू और कोई नही मेरी माता है l
