मैं आधुनिक नारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ
मैं मांस, हाड पिंड से बनी मात्र आकार नहीं,
त्याग, प्रेम, लुटाने प्रकार नहीं
अदम्य साहस द्वेष से भरी अभिमानी हूँ
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ l
तू देख मुझे जरा ध्यान से
यम से भी लड़ लेने वाली सावित्री हूँ,
उर्वशी और मेनका सी सुंदरता रखने वाली हूँ
मुझसे जब भी टकराओगे
शून्य ही साथ में पाओगे
ज्ञान हो या विज्ञान सब जगह तुम मुझे पाओगे
तेरे सोच भी परे हूँ
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ
मदर टेरिसा, जैसी दया दिखाने वाली हूँ
माँ दुर्गा बनकर महिषासुर वधनी वाली हूँ
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ
वेद, उपनिषद या हो रामायण, महाभारत
मेरे रूपों को ही पाओगे
युग अलग हो या समय अलग हो
कोमल, ममता ,त्याग की वही मूर्ति हूँ
अपनी सोच को नयी पंख देने वाली हूँ
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ l
