माँ की छत्र छाया में मिलतीं हैं अनंत खुशियाँ। माँ की छत्र छाया में मिलतीं हैं अनंत खुशियाँ।
तू बन जाती है फिर से मूर्ति पाषाण की जिसमें स्वयं के लिए न इच्छा है न चाहत। तू बन जाती है फिर से मूर्ति पाषाण की जिसमें स्वयं के लिए न इच्छा है न चाहत।
बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई। बातें. हाँ शायद मैं इन्ही बातों में आ गई।
मेरा जन्म उस पावन जगह हुआ जिसे "डाकोर" कहते हैंं, खुद श्री कृष्णा जहाँ रहते हैं, ऐसे मेरा जन्म उस पावन जगह हुआ जिसे "डाकोर" कहते हैंं, खुद श्री कृष्णा जहाँ रहते ह...
मूर्ति भी छटपताती है दिल के टूटने की आवाज नहीं आती है। मूर्ति भी छटपताती है दिल के टूटने की आवाज नहीं आती है।
तभी ये देश वापिस सोने की चिड़िया हो पायेगा गर गद्दार न मारे तो फिर से देश गुलाम हो जाये तभी ये देश वापिस सोने की चिड़िया हो पायेगा गर गद्दार न मारे तो फिर से देश गुला...