पृथ्वीराज चौहान की जीवनी
पृथ्वीराज चौहान की जीवनी
पृथ्वी राज चौहान को कौन नही जानता है
उनकी पदचाप से दुश्मन थर-थर कांपताहै
क्षत्राणी मां कपुरीदेवी की वो सन्तान थे
वीर शिरोमणि सोमेश्वर के पुत्र वो महान थे
अल्पायु में पृथ्वीराज के पिता चल बसे थे
11 साल की उम्र में वो राजा बन गये थे
उम्र भले उनकी कम थी,
हिम्मत हिमालय जैसी थी,
दिल्ली के शासक उस समय अनंगपाल थे
वो पृथ्वी राज चौहान के नाना महान थे
दी उन्होंने युद्ध नीति आदि की शिक्षा
पृथ्वी को बना दिया उन्होंने वीर शूरमा
एक भाई सा दोस्त उनका चन्दबराई भी था
जो कवि के साथ-साथ तलवार का भी धनी था
कम उम्र में ही पृथ्वी ने कहीं युद्ध जीते
कम उम्र में ही पृथ्वी बन गये थे चीते
कुछ समय मे बन गये वो चक्रवर्ती सम्राट
भारत मे हर जगह दिए उन्होंने झंडे गाड़
दिल्ली का ताज मिला नाना अनंगपाल से
पूरे भारत के हिन्दू सम्राट बने बाहुबल से
देश का उस समय एक गद्दार जयचंद था
उसकी पुत्री संयोगिता को पृथ्वी से प्यार था
जयचंद को पर पृथ्वी पसन्द नही था
स्वयंवर में द्वारपाल की जगह पृथ्वी की मूर्ति बनाई
पर संयोगिता ने वरमाला द्वारपाल पृथ्वी को ही पहनाई
पृथ्वीराज ने उसके पवित्र प्रेम की लाज रखी
सब राजाओ हरा संयोगिता का हरणकर शादी की
जयचंद ने इस शत्रुता को देशद्रोह में पाल लिया था
मोहम्मद गोरी से आख़िर उसने हाथ मिला लिया था
17 बार पृथ्वी ने गोरी को धूल चटाई थी
पर रोने से पृथ्वी को उस पर दया आई थी
कभी क़भी गर्दिश में कुते भी शेर को घेर लेते है
पृथ्वी ने गोरी से तराइन के द्वितीय युद्ध मे हार पाई थी
जयचंद की गद्दारी से आज एक शेर ने पराजय पाई थी
गोरी पृथ्वी को दोस्त चंद संग अपने देश ले जाता है
वो बुजदिल पृथ्वी राज को अंधा कर जाता है
एकदिन मोहम्मद गोरी को पृथ्वी के
शब्द भेदी बाण देखने की इच्छा होती है
चंद अपने शब्दों से गोरी के आसन की बतलाता है
पृथ्वी दोस्त की बात को जल्द समझ जाता है
अंधा होकर भी पृथ्वी गोरी को मार गिराता है
शत्रु के हाथों मरने की बजाय ,
दोनों दोस्त खुद के सीने में कटार घोप जाते है
एक थाल जन्म,एक थाल मरण की वाणी सिद्ध कर जाते है
इस प्रकार एक गद्दार की वजह से भारत,
कहीं वर्षो तक गुलामी पाता है
सांप को भले छोड़ दो,गद्दार को पहले मारो
तभी ये देश वापिस सोने की चिड़िया हो पायेगा
गर गद्दार न मारे तो फिर से देश गुलाम हो जायेगा।
