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Ravi Ranjan Goswami

Abstract

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Ravi Ranjan Goswami

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वक्त

वक्त

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तन्हा सा मैं दिखता हूँ ।

यादों के संग रहता हूँ ।

ठोकरों से सीखे हैं सबक ।

हर हाल में जी लेता हूँ ।


वक्त की चालाकियां भी खूब हैं ।

सुस्त दीखता हुआ तेज गुजर जाता है।

हम कभी मुश्किल से गुजारते हैं जिसे,

बड़ी आसानी से आगे निकल जाता है।


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