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Ravi Ranjan Goswami

Abstract

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Ravi Ranjan Goswami

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एक छोटी नज़्म

एक छोटी नज़्म

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मुझे नज़र अंदाज करता है । 

मुझ पर नज़र भी रखता है । 

पर्दे में खुद रहता है और 

शिकायत है मैं देखता नहीं ।

लोग अकेले हैं,

 इस शहर में सभी ।

फिर कोई दुआ सलाम 

क्यों नहीं करता ?


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