एक छोटी नज़्म
एक छोटी नज़्म
मुझे नज़र अंदाज करता है ।
मुझ पर नज़र भी रखता है ।
पर्दे में खुद रहता है और
शिकायत है मैं देखता नहीं ।
लोग अकेले हैं,
इस शहर में सभी ।
फिर कोई दुआ सलाम
क्यों नहीं करता ?
मुझे नज़र अंदाज करता है ।
मुझ पर नज़र भी रखता है ।
पर्दे में खुद रहता है और
शिकायत है मैं देखता नहीं ।
लोग अकेले हैं,
इस शहर में सभी ।
फिर कोई दुआ सलाम
क्यों नहीं करता ?