Dinesh Dubey
Abstract
सतरंगी आसमान
दिखता बहुत सुंदर
ये कुदरत का खेल
लगता बड़ा अजूबा
देखने से इसको
लगता जैसे
आंखों में शुकून सा
छोटे बड़े सभी देख
प्रसन्न हो जाते हैं,
सतरंगी आसमान पर
चला प्रदूषण का वार
अब ना दिखता बार-बार।
मिडिल क्लास
संतोष
संगत
कैसे बिठाऊं
ये इश्क
बहन
ऑनलाइन प्यार
अगला जन्म
अच्छे बने रहो
वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ। वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ।
राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का, जिनको होता नहीं है अर्थ उन नरों का जीवन भी क्या है राष्ट्रप्रेम की भावनाओं का, जिनको होता नहीं है अर्थ उन नरों का जीवन भी क्या ह...
वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना ! वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना !
सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना ----------- सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना -----------
हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान, हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान,
यहाँ तो दरिया में पड़े पत्थर की तरह कतरा कतरा टूटा हूँ मैं यहाँ तो दरिया में पड़े पत्थर की तरह कतरा कतरा टूटा हूँ मैं
भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया। भक्तिमार्गी को राह मिलन की, 'काफ़िर' दिखला गया।
तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी। तेरे हर सवाल का जवाब देना बाकी है अभी, जिंदगी तेरा कर्ज़ चुकाना बाकी है अभी।
बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है? बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है?
चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं। चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं।
गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ। गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ।
और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं! और मेरे अक्षरों में, तुम्हारे सुख को पलीता लगाते हुए तीखे सवाल हैं!
अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी। अपने बच्चे को गर्भनाल से अलग नहीं कर पाएगी।
अब तक अपने मन के भाव तुमने व्यक्त किए, अब मेरे भावों को समझना तुम अब तक अपने मन के भाव तुमने व्यक्त किए, अब मेरे भावों को समझना तुम
ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँगा। ओ जाना फिर मैं क्यों बदलूँ अन्त मे बस मैं यही कहूँगा ना बदला हूँ ना बदलूँ...
अप्राकृतिक खाद्य पदार्थों का लुप्त होते जाना स्वास्थ्य पर बीमारियों का पहरा अप्राकृतिक खाद्य पदार्थों का लुप्त होते जाना स्वास्थ्य पर बीमारियों का पहरा
प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार। प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार।
मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को मुझे मायका बनाना है अपनी ससुराल को
लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥ लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥