मेरे पापा कहां गये
मेरे पापा कहां गये
मेरे पापा कहां गए
बस इसका जबाब दो
देश में बैठे हुक्मरानों
मुझे इंकलाब दो
दे दो ढाल कटार हमें
काट दुश्मन का सर लाऊँ
चीर दूँ उसकी बोटी बोटी
दुश्मन में हाहाकार लाऊँ
देखो पुलवामा में दुश्मन ने
छिपकर था हमपर वार किया
कायर आतंकी पिट्ठू ने
छुरे को पीठ के पार किया
दे दो भाल कुदाल हमें
फाड़ चीर कर रग आऊँ
शहीद हुए वीरों के ख़ातिर
मैं भी बांध कफन आऊँ
जब तिरंगे में लिपटे पापा
बूंद खून सने लौटे
लिए खून ललाट तिलक मस्तक
देश का मान लिए लौटे
मुझे भी भेज दो बॉडर पर
अभी पुत्र तैयार खड़े
भारतमाता का मान रखने
लड़ने को तलवार लिए
रोया नहीं गर्व से मैंने
आसूँ नहीं बहाऊंगा
जब तक बून्द रक्त का अंदर
देश के काम मैं आऊंगा
मुस्कुराते मुँह पर मेरे
भारतमाता का मान है
घर में इतना मातम है
यह ईश्वर का इम्तहान है
पापा आज है चले गए
रखकर देश का शान
एक और पुत्र खड़ा है
देने को अपनी जान
जय हिंद जय भारत।