Bhavna Thaker

Inspirational

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Bhavna Thaker

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भारत की मांग का टीका

भारत की मांग का टीका

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भारत की मांग का टीका है

कश्मीर हम सबका चहेता है,

रक्त रंजित भूमि शर्मसार थी

अपने ही घर में बेघर थी ! 


नासूर सा चुभता था काँटा

बाग ए बहार सी कश्मीर को !

जड़ से उखाड़ने वाले तेरा शुक्रिया 

जन्नत थी जाहिलों के हाथ,

रोता था रोम रोम !


हर फूल आज नम आँखों से

खुशियाँ मनाते खिलखिला रहा है

हिमाच्छादित पर्वत ऊँचे

खुल्ली साँसे तरसते.! 


बाँहे पसारे आज सबको बुलाते

धाराएँ कुछ हट गई सर से 

धवल सुरीला नाद बहाते शीत

समीर संग नाच रहे है.!


हक अपने स्वर्ग पे पाकर

हर नर नार के उर में बहती

फुहार खुशियों की 

स्वर्ग से सुंदर रचना ईश की

आधी अधूरी लगती थी.! 

पंडितों के हक की ज़मीन

दर्द से तड़पती रोती थी.!


डल सरोवर सराबोर सा शांत 

अडोल पड़ा था.!

लहरो में आवेग उभरता

आज थनगन नाच रहा है.!


वादियों में चिनार के

कुछ पत्तें बिलबिलाते 

सैनिकों के खून से लथपथ

इधर-उधर मंडराते.!


बँधे हाथ अब मुक्त हुए सैनिकों को के

सर से उतर गए हर बँधन,

खैर नहीं अब दुश्मन तेरी,

बेड़िया खुल गई है.!


हल्की-सी एक साँस भरकर

आज़ादी की लज्जत लेते

हर घाटी हर मंज़र आज

जश्न मना रहा है,


रोती हुई विधवा का मानों

शृंगार आज हुआ है.!

वजूद अपना वापस पा कर

सालों से एक रुके हुए फैसले पे

इतराता कश्मीर आज गुनगुना रहा है।


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