गुरु महिमा
गुरु महिमा
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द,
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवन्त
तुम्हारी करूं मैं वन्दना सतगुरु बारम्बार,
मैं विष की बेलरी गुरु तुम अमृत की खान।
चरण - रज गुरुदेव की मस्तक मैं लगाऊं,
दीजो मोहे आशीश गुरु श्रद्धा सुमन चढ़ाऊं।
कोष ज्ञान का गुरु है देता, सत्कर्म सिखाता,
सन्मार्ग पर चलाता, जीवन में सच्ची सीधी राह दिखाता।
जीवन का व्यवहार गुरु है,
जो हैं हम उसका आधार गुरु है
सुखद छांव देने वाला तरूवर गुरु
ज्ञान का सच्चा वैभव गुरु,हृदय तमस को
भगाएं गुरु, ज्ञान की जोत जलाए गुर।
गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु, गुरु ही देवो महेश है
अंधियारा मिटाए, गुरु ऐसी जोत जलाए।
एक नहीं अनेक रूप गुरु के,
मात - पिता है गुरु, जो शिक्षा दे वो है गुरु,
सही राह दिखाए वो है गुरु,
उलझनों से सुलझना बताए है गुरु।
गुरु विश्व का आधार, गुरु सफल करे सब कार,
गुरु दया सिंधु है महान।
शिक्षा का अनमोल धन देता गुरु,
विद्या की जीवन्त देव प्रतिमा गुरु।
कल्पना नहीं गुरु बिन ज्ञान की,
गुरु से सदा लीजे आशीष,
गुरु जो राह दिखाए तो मिल जाएं जगदीश।