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Prem Bajaj

Romance

4  

Prem Bajaj

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इश्क का खुमार

इश्क का खुमार

2 mins
240



तु पुकारे और मैं ना आऊं ऐसा हो नहीं सकता,

भूल कर तुझे मैं जी पाऊं ऐसा हो नहीं सकता।


तु मैं जो हो गया ये इश्क का ही खुमार है,

मैं हूं तेरी विरहन तू मेरा बीमार है।


छोड़ खुदा की इबादत, बुतकदा का सजदा तू करने लगा, 

इसी को कहते हैं इश्क में जीना-मरना, जैसे तू मुझ पर मरने लगा।


आईने में जब तुझे नज़र आए शक्ल मेरी, समझ लेना तुझे लग गई है लत मेरी।


है इतना बेताब तू मुझसे मिलने को, 

कि हर एक में तू मुझे ही ढूंढा करता है।

हर सांस में लेता है नाम मेरा, हवाओं में पैगाम भेजा करता है।


दिल जो तेरा धड़क रहा है, हूं मैं ही उस में, बार-बार ये कह रहा है,

बेखुदी इससे बढ़कर और क्या होगी, कि तू अपनी परछाई में वजूद मेरा ढूंढ रहा है।


तेरा दिल तो बन चुका रक़ीब तेरा, क्योंकि अब वो मेरा बन गया है,

 छोड़ कर तेरी छाती सीने मेरे से लग गया है।


तेरी ठंडी आहें मेरे तन- मन को रोमांचित कर जाती है,

तेरा दिल जब छूता है सीना मेरा मुझे इश्क की आग जला जाती है।


मैं हया का घूंघट ओढ़ कर बैठी हूं तेरे इंतज़ार में,

लगी है आस आएगा तू चढ़ घोड़ी, ले जाएगा मुझे इश्क के दरबार में।


चांद- तारों से मांग मेरी सजाएगा, 

 मैं झूमूंगी तेरे प्यार में, तू मेरे इश्क में जीएगा।


प्यार भरी वो रात होगी, लबों से लबों की मुलाकात होगी, 

दो जिस्म थर्राएंगे, अनन्त प्यार की बरसात होगी।


जब छूएंगी उंगलियां तेरी मेरी कस्तूरी को, लिखोगे लबों से मेरी कमर पर प्यार तुम, 


होगा दिलों का आदान-प्रदान जब, तब दो से इक हो जाएंगे हम।



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