Prem Bajaj

Romance

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Prem Bajaj

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सुकून मिलता है

सुकून मिलता है

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तेरे शाने पे रख कर सर सोने में सुकून मिलता है,

छोड़ कर ये जहां बस तेरा होने में सुकून मिलता है,

तेरी आंखों के अश्क पीकर सुकून मिलता है,

देकर खुशियां तुझे अपनी, तेरे ग़म लेने में सुकून मिलता है।


कर्म खुदा का हुआ जो तेरे जैसा यार मिला,

तरसते हैं लोग सच्चे प्यार को, मुझे बेशुमार मिला।

आ तुझे पलकों की छांव में बिठा लूं मैं,

चूम कर तेरी पलकों को अश्क चुरा लूं मैं,

सुकून मिल जाए तुम्हें, इस तरह सीने से लगा लूं मैं।


बसे हो तुम तन-मन में ऐसे, लहू बहे रगों में जैसे,

धड़कन हो तुम दिल की, तुझ से ही चले ये सांसें।

मेरे जीवन की भोर तुम्हीं हो,मेरे चितचोर तुम्हीं हो,

मैं हूं ग़र बांस की पोरी, उसकी ध्वनि तुम्हीं हो।


राग हो तुम और सुर हूं मैं प्यारे, मैं हूं मन तुम हो मीत, 

आ मिल मुझे बन कर मेरा मनमीत, ओ मेरे मितवा रे।

छू ना पाए कोई परिंदा तेरी पाक रूह को, आ तुझे 

अपनी रूह में मैं बसा लूं, ना कर पाए कोई तार-तार 

तेरे जज़्बातों को, इस तरह इस बेदर्द ज़माने से छुपा लूं।



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