आने लगे वो करीब
आने लगे वो करीब
लगे हैं आने वो मेरे करीब धीरे-धीरे,
बन रहे हैं अब मेरे वो हबीब धीरे-धीरे।
खोलते थे ना लब हया से कभी जो,
बन रहे वो हमसे बेतरतीब धीरे-धीरे।
फ़लसफ़ा जिंदगी का जो समझाया करते थे,
करने लगे हैं व्यवहार वो अजीब धीरे-धीरे।
जो समझा करते थे मनहूस हमको कभी,
समझने लगे हैं वो हमें खुशनसीब धीरे-धीरे।
कभी किया ना करते थे एतबार जो हमपे,
लगे हैं समझने हमें वो नवाज़गरीब धीरे-धीरे।
ना समझते थे किसी ज़िंदगी के उसूल को,
वो समझने लगे हैं कुछ तहज़ीब धीरे-धीरे।
जो ना माना करते थे *प्रेम* मोहब्बत को कभी,
वो अब खुद बन गए हैं प्यार के ख़तीब धीरे-धीरे।